गणेश चतुर्थी 2025: परंपरा, महत्व और आधुनिक उत्सव का संगम
गणेश चतुर्थी 2025 का पर्व 27 अगस्त को मनाया जाएगा। जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, महत्व, पर्यावरण-हितैषी गणपति की जानकारी और उत्सव से जुड़ी रोचक बातें।
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परिचय
गणेश चतुर्थी भारत का एक प्रमुख और अत्यंत हर्षोल्लास से मनाया जाने वाला पर्व है। यह भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें विघ्नहर्ता, बुद्धि के देवता और मंगलकारी माना जाता है। 2025 में गणेश चतुर्थी 27 अगस्त को मनाई जाएगी और देशभर में मंदिरों, घरों और पंडालों में विशेष सजावट व भव्य आयोजन होंगे।
गणेश चतुर्थी का इतिहास और उत्पत्ति

गणेश चतुर्थी का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों जैसे स्कंद पुराण, मुद्गल पुराण और गणेश पुराण में मिलता है। ऐतिहासिक रूप से, पेशवा काल (18वीं शताब्दी) में यह त्योहार महाराष्ट्र में सार्वजनिक रूप से मनाया जाने लगा। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने इसे लोगों को एकजुट करने के लिए सार्वजनिक उत्सव का रूप दिया।
पौराणिक कथा
कथा के अनुसार, माता पार्वती ने अपने आंगन में स्नान के समय अपने शरीर की मिट्टी से गणेश जी की मूर्ति बनाई और उसमें प्राण प्रतिष्ठा की। उन्होंने गणेश जी को अपने घर के द्वार पर पहरेदारी करने को कहा। जब भगवान शिव लौटे और अंदर जाने लगे तो गणेश जी ने उन्हें रोक दिया। क्रोधित होकर शिवजी ने उनका मस्तक काट दिया। बाद में, पार्वती के क्रोध को शांत करने के लिए शिवजी ने हाथी का सिर लगाकर गणेश जी को पुनर्जीवित किया और उन्हें “विघ्नहर्ता” का आशीर्वाद दिया।
गणेश चतुर्थी 2025 की तारीख और शुभ मुहूर्त
- तिथि: बुधवार, 27 अगस्त 2025
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ: सुबह 06:15 बजे (27 अगस्त)
- चतुर्थी तिथि समाप्त: सुबह 08:45 बजे (28 अगस्त)
- शुभ मुहूर्त: सुबह 11:05 से दोपहर 01:35 तक (अभिजीत मुहूर्त)
इन समयों में भगवान गणेश की स्थापना और पूजा करना विशेष फलदायक माना जाता है।
पूजन विधि
- मूर्ति स्थापना – मिट्टी या धातु की गणेश प्रतिमा को स्वच्छ व सजाए हुए स्थान पर स्थापित करें।
- संकल्प – भगवान गणेश का ध्यान करके संकल्प लें।
- अभिषेक – मूर्ति को गंगाजल, दूध, दही, शहद और पंचामृत से स्नान कराएं।
- सजावट – फूल, हार, चंदन, धूप और दीप से सजाएं।
- भोग – मोदक, लड्डू और फल अर्पित करें।
- आरती और मंत्र – गणपति आरती और मंत्रों का पाठ करें।
- गणेश विसर्जन: 1.5, 3, 5, 7 या 10वें दिन गणपति का विसर्जन किया जाता है।
गणेश चतुर्थी का महत्व
गणेश चतुर्थी का महत्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह त्योहार एकता, उत्साह और भक्ति का प्रतीक है।
पौराणिक कथा के अनुसार, माता पार्वती ने गणेश जी को अपने शरीर के उबटन से बनाया और उन्हें द्वारपाल बनाया। भगवान शिव ने अनजाने में उनका सिर काट दिया, जिसे बाद में हाथी के सिर से प्रतिस्थापित किया गया, और इस प्रकार गणेश जी को ‘गजानन’ कहा जाने लगा।
- आध्यात्मिक महत्व – यह त्योहार बुद्धि, समृद्धि और सफलता का प्रतीक है।
- सामाजिक महत्व – यह लोगों को एकजुट करता है और समाज में भाईचारे को बढ़ाता है।
- पर्यावरण संदेश – आजकल पर्यावरण-हितैषी मूर्तियों का चलन बढ़ रहा है।
भारत में गणेश चतुर्थी के प्रमुख आयोजन
गणेश चतुर्थी और सांस्कृतिक महत्व
भारत में विशेष रूप से महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में यह पर्व बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने आज़ादी के आंदोलन के समय इस उत्सव को सार्वजनिक स्तर पर मनाना शुरू किया था, जिससे समाज में एकता और राष्ट्रीय भावना को बढ़ावा मिला। आज भी यह त्योहार सामाजिक मेलजोल और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का केंद्र है।
- मुंबई – लालबागचा राजा, सिद्धिविनायक मंदिर
- पुणे – दगडूशेठ हलवाई गणपति
- गोवा – घर-घर में भव्य सजावट
- आंध्र प्रदेश और कर्नाटक – पारंपरिक नृत्य और भक्ति गीत
आधुनिक गणेश चतुर्थी

सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से लोग वर्चुअल पूजा में भाग ले रहे हैं। कई स्थानों पर लाइव स्ट्रीमिंग से भक्त दूर बैठकर भी दर्शन कर पाते हैं।
पर्यावरण-हितैषी गणेश चतुर्थी
प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां पानी को प्रदूषित करती हैं, इसलिए आजकल मिट्टी, शंख या चॉकलेट से बनी मूर्तियों का प्रचलन बढ़ा है। चॉकलेट गणपति का विसर्जन दूध में किया जाता है और वह दूध बाद में गरीबों में बांटा जाता है।
फायदे:
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- जल प्रदूषण कम होता है
- मछलियों और जलजीवों की रक्षा होती है
- धार्मिक आस्था के साथ पर्यावरण संरक्षण भी होता है
गणेश चतुर्थी से जुड़े मंत्र
- “ॐ गं गणपतये नमः”
- “वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ”
गणेश चतुर्थी के लोकप्रिय भोग
गणपति बप्पा को मोदक अत्यंत प्रिय है। इसके अलावा लड्डू, पूरण पोली, और नारियल के लड्डू भी भोग में चढ़ाए जाते हैं। कहा जाता है कि मोदक का सेवन करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है और बाधाएं दूर होती हैं।
निष्कर्ष
गणेश चतुर्थी 2025 न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें एकजुटता, भक्ति और पर्यावरण-संरक्षण का संदेश भी देती है। अगर आप इस बार गणेश चतुर्थी मना रहे हैं, तो कोशिश करें कि आप इको-फ्रेंडली गणपति का चयन करें और भक्ति के साथ-साथ प्रकृति का भी ध्यान रखें।