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रूस को लेकर नाटो ने भारत को दी चेतावनी

रूस को लेकर नाटो ने भारत को दी चेतावनी

  1. भारत-रूस संबंध:

भारत और रूस के बीच संबंध दशकों पुराने और बहुआयामी हैं। सोवियत युग से ही रूस ने भारत को:

आज भी भारत की रक्षा आपूर्ति का 60-70% रूस से आता है।

इसके अलावा, रूस ने कभी भारत की स्वतंत्र विदेश नीति में हस्तक्षेप नहीं किया, जिससे भारत के लिए रूस एक भरोसेमंद साझेदार बना रहा।

नाटो की चेतावनी का संदर्भ

नाटो द्वारा भारत को रूस के साथ संबंधों को लेकर दी गई चेतावनी का संबंध हाल की घटनाओं से जुड़ा है:

  1. रूस पर लगाए गए पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने रूस से तेल खरीद बढ़ाई – जिससे पश्चिमी देशों को लगा कि भारत रूस को आर्थिक रूप से संजीवनी दे रहा है।
  2. भारत का रूस के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास – नाटो के लिए यह संकेत है कि भारत अब भी रूस को सैन्य साझेदार मानता है।
  3. रूस-भारत द्विपक्षीय व्यापार में तेज़ी – भारत ने डॉलर की बजाय रूपया-रूबल में व्यापार को अपनाया।

इन बातों से नाटो को चिंता है कि भारत का यह रवैया पश्चिमी प्रतिबंधों को अप्रभावी बना सकता है।

रूस को लेकर नाटो ने भारत को दी चेतावनी
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नाटो की मुख्य आपत्तियाँ क्या हैं?

  1. रूस को “Legitimacy” देना
    नाटो देशों का मानना है कि भारत जब रूस के साथ द्विपक्षीय बैठकें करता है या सैन्य अभ्यास करता है, तो वह अनजाने में रूस के यूक्रेन पर हमले को “वैधता” प्रदान कर रहा है।
  2. वैश्विक प्रतिबंधों को कमजोर करना
    जब भारत रूस से सस्ते तेल और उर्वरक खरीदता है, तो इससे रूस को वह आर्थिक सहायता मिलती है जिसकी उसे ज़रूरत है। इससे पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का असर कम होता है।
  3. चीन-रूस-भारत त्रिकोण की आशंका
    नाटो को आशंका है कि यदि भारत रूस के ज़रिए चीन के और नज़दीक जाता है, तो यह पश्चिमी गठबंधन के लिए खतरा बन सकता है।

भारत की प्रतिक्रिया और स्थिति

भारत ने अब तक इस मुद्दे पर संतुलित और स्पष्ट रुख अपनाया है:

भारत का मानना है कि:

चीन का एंगल और नाटो की चिंता

पश्चिमी देश यह भी देख रहे हैं कि:

अमेरिका और नाटो की भारत को लुभाने की कोशिशें

रूस को लेकर नाटो ने भारत को दी चेतावनी

लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी सैन्य गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगा।

नाटो की चेतावनी: रणनीति या दबाव?

नाटो की यह चेतावनी एक प्रकार से राजनीतिक दबाव है, जिससे भारत को यह बताया जा सके कि यदि वह पश्चिमी देशों के साथ अपने संबंध मजबूत करना चाहता है, तो उसे रूस से दूरी बनानी होगी।

इसका उद्देश्य:

  1. भारत को रूस से दूरी बनाने के लिए मजबूर करना।
  2. भारत को चीन के विरुद्ध रणनीतिक मोर्चे पर लाना।
  3. भारत को पश्चिमी टेक्नोलॉजी और बाजार का लालच देना।

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