हेलमेट मैन ऑफ इंडिया: गाड़ी में भी हेलमेट लगाये रखते हैं ।एक जुनून, एक जीवनदायिनी मुहिम

Helmet man of india का परिचय-
भारत एक विशाल और विविधताओं से भरा देश है, जहाँ सड़क सुरक्षा आज भी एक गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है। हर साल हजारों लोग सड़कों पर दुर्घटनाओं के कारण अपनी जान गंवाते हैं, जिनमें से एक बड़ी संख्या दोपहिया वाहन चालकों की होती है। इन दुर्घटनाओं के मुख्य कारणों में एक प्रमुख कारण है – हेलमेट न पहनना।
इन्हीं आंकड़ों और पीड़ाओं ने एक आम इंसान को असाधारण बना दिया। इस आम इंसान ने एक असाधारण संकल्प लिया – लोगों को हेलमेट पहनने के लिए प्रेरित करना और उन्हें मुफ्त में हेलमेट बांटना। आज भारत इस शख्स को “हेलमेट मैन ऑफ इंडिया” के नाम से जानता है। इनका असली नाम है राघवेंद्र कुमार।
शुरुआत की कहानी
राघवेंद्र कुमार का जन्म बिहार राज्य के सीवान जिले के एक छोटे से गाँव में हुआ था। वे पढ़ाई में अच्छे थे और उन्हें खेलों में भी दिलचस्पी थी। उन्होंने स्नातक की पढ़ाई के बाद दिल्ली से पत्रकारिता की पढ़ाई की और बाद में नोएडा शिफ्ट हो गए। वे एक साधारण नौकरी कर रहे थे और सामान्य जीवन जी रहे थे, लेकिन एक घटना ने उनकी ज़िंदगी की दिशा ही बदल दी।
ट्रैफिक एक्सीडेंट जिसने सोच बदल दी
वर्ष 2014 में राघवेंद्र के एक करीबी दोस्त की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। इस हादसे की सबसे दुखद बात यह थी कि उनका दोस्त हेलमेट नहीं पहना था, और अगर उसने हेलमेट पहना होता तो शायद उसकी जान बच जाती। इस घटना ने राघवेंद्र कुमार को भीतर से झकझोर कर रख दिया।
यहीं से उनके भीतर एक संकल्प जन्मा – कि वे लोगों को हेलमेट की महत्ता समझाएंगे और जितना संभव हो सके, उन्हें मुफ्त में हेलमेट देंगे।
“हेलमेट मैन” का जन्म
राघवेंद्र ने अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से पैसे जुटाकर कुछ हेलमेट खरीदे और सड़क पर निकल पड़े। वे दोपहिया सवारों को रोकते, उनसे बातचीत करते और यदि वे बिना हेलमेट के होते, तो उन्हें एक मुफ्त हेलमेट भेंट करते। शुरुआत में लोग उन्हें अजीब नज़रों से देखते थे, कुछ ने मज़ाक उड़ाया, तो कुछ ने उन्हें पागल भी कहा। लेकिन वे रुके नहीं। उनका मकसद था – “एक सिर बचाना, एक जीवन बचाना।”
धीरे-धीरे उनका काम मीडिया की नजरों में आया और वे “हेलमेट मैन ऑफ इंडिया” के नाम से पहचाने जाने लगे।
संकल्प से सेवा की यात्रा
अब तक राघवेंद्र कुमार हजारों हेलमेट गरीब, ज़रूरतमंद और युवा दोपहिया चालकों को मुफ्त में बाँट चुके हैं। उनका लक्ष्य सिर्फ हेलमेट बाँटना नहीं है, बल्कि लोगों को इसके पीछे की गंभीरता समझाना है। वे कहते हैं:
“हेलमेट पहनना सिर्फ कानून का पालन नहीं, बल्कि अपने परिवार से किया गया वादा है कि आप सुरक्षित लौटेंगे।”
उनकी यह सोच आज हजारों युवाओं को प्रेरित कर रही है।
कार्यशैली और मिशन
हेलमेट मैन अपनी मुहिम को कुछ प्रमुख तरीकों से आगे बढ़ाते हैं:
1.
सड़क पर जागरूकता अभियान
राघवेंद्र कुमार खुद सड़क पर जाकर दोपहिया चालकों से बातचीत करते हैं, उन्हें हेलमेट के फायदे बताते हैं और अगर किसी के पास हेलमेट नहीं है तो उसे मुफ्त में हेलमेट देते हैं।
2.
कॉलेजों और स्कूलों में सेमिनार
वे युवाओं से विशेष रूप से संवाद करते हैं क्योंकि देश में अधिकांश सड़क दुर्घटनाओं का शिकार युवा ही होते हैं। वे सेमिनार के ज़रिए सड़क सुरक्षा की जानकारी देते हैं।

3.
डोनेशन और फंड रेजिंग
वे सोशल मीडिया और व्यक्तिगत संपर्कों के ज़रिए हेलमेट खरीदने के लिए फंड जुटाते हैं। कई हेलमेट कंपनियों ने भी उनका साथ दिया है।
4.
सड़क सुरक्षा सप्ताह और विशेष अभियान
राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान, राघवेंद्र विशेष कार्यक्रम करते हैं, जिसमें हेलमेट रैलियाँ, नुक्कड़ नाटक, और पोस्टर अभियान शामिल होते हैं।
अब तक का योगदान (2025 तक)
- हजारों हेलमेट मुफ्त में बाँटे जा चुके हैं।
- 300+ स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता सेमिनार किए गए।
- 20+ राज्यों में जाकर उन्होंने यह मुहिम चलाई है।
- 10,000 से अधिक लोगों की जान अप्रत्यक्ष रूप से बचाने में उनका योगदान माना गया है।
- ‘हेलमेट बैंक’ जैसी अवधारणा को जन्म दिया, जहाँ लोग हेलमेट दान कर सकते हैं।
सम्मान और पुरस्कार
उनकी सेवा और समर्पण के लिए उन्हें कई सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाओं ने सम्मानित किया है। कुछ प्रमुख पुरस्कार:
- भारत गौरव सम्मान
- यंग अचीवर अवार्ड (Youth Icon)
- सड़क सुरक्षा योगदान सम्मान
- मीडिया हाउस द्वारा डॉक्यूमेंट्री कवरेज
उनकी कहानी पर कई टीवी चैनल और यूट्यूब चैनलों ने वीडियो बनाए हैं, जिससे लाखों लोग प्रेरित हुए हैं।
चुनौतियाँ और संघर्ष
उनकी राह कभी आसान नहीं रही। उन्हें कई बार आलोचना का सामना करना पड़ा, धन की कमी रही, कभी-कभी प्रशासनिक समर्थन भी नहीं मिला। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा:
“मैं जानता हूँ कि मैं पूरे भारत को हेलमेट नहीं पहना सकता, लेकिन अगर मैं एक भी जान बचा सका, तो मेरा जीवन सार्थक हो जाएगा।”
सोशल मीडिया की भूमिका
राघवेंद्र सोशल मीडिया को भी एक मजबूत हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं। उनके फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पेज पर जागरूकता से जुड़े कई वीडियो हैं, जिन्हें लाखों लोगों ने देखा और शेयर किया है। इससे उन्हें न सिर्फ प्रसिद्धि मिली, बल्कि सहयोग भी मिलने लगा।
युवाओं के लिए संदेश
हेलमेट मैन बार-बार एक ही बात दोहराते हैं:
“एक हेलमेट 500 रुपये में आता है, लेकिन आपके सिर की कीमत करोड़ों में है।”
वे युवाओं से कहते हैं कि स्टाइल के लिए हेलमेट न पहनना सबसे बड़ी मूर्खता है। यह सिर्फ आपकी सुरक्षा नहीं करता, बल्कि आपके परिवार की उम्मीदें भी बचाता है।
भविष्य की योजनाएं
राघवेंद्र कुमार का सपना है कि भारत में हर दोपहिया सवार के पास हेलमेट हो। वे जल्द ही एक मोबाइल ऐप लॉन्च करने की योजना पर काम कर रहे हैं, जहाँ कोई भी व्यक्ति जरूरतमंद को हेलमेट दान कर सके।
इसके अलावा वे “हेलमेट फॉर होप” नामक एक राष्ट्रीय मुहिम की शुरुआत कर रहे हैं, जिसमें देशभर के युवाओं को जोड़ने का प्रयास किया जाएगा।