India की AI Talent Crisis: भारत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विशेषज्ञों की भारी कमी
भारत AI टैलेंट की भारी कमी का सामना कर रहा है। जानिए इसके कारण, असर और समाधान, ताकि भारत ग्लोबल AI लीडर बन सके।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आज दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती तकनीकों में से एक है। हेल्थकेयर, एजुकेशन, फाइनेंस, ई-कॉमर्स, ऑटोमेशन और यहां तक कि क्रिएटिव इंडस्ट्री में भी AI का दखल बढ़ चुका है। भारत IT टैलेंट का हब माना जाता है, लेकिन एक बड़ी सच्चाई यह है कि AI स्पेशलिस्ट की भारी कमी यहां महसूस की जा रही है। हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, AI और मशीन लर्निंग से जुड़े जॉब्स की डिमांड बहुत तेज़ी से बढ़ रही है, लेकिन स्किल्ड प्रोफेशनल्स की संख्या उस हिसाब से नहीं बढ़ रही।
AI Talent की कमी के आंकड़े
2025 तक ग्लोबल AI मार्केट का साइज 190 बिलियन डॉलर से अधिक होने का अनुमान है। भारत में AI जॉब्स की सालाना डिमांड 40% से ज्यादा की दर से बढ़ रही है, लेकिन उपलब्ध टैलेंट केवल 16% जॉब्स को ही भर पा रहा है। NASSCOM की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में AI और डेटा साइंस से जुड़े 50% से ज्यादा पद खाली रह जाते हैं।
क्यों हो रही है AI Experts की कमी?

-
स्किल गैप
– ज्यादातर इंजीनियरिंग ग्रैजुएट्स के पास कोडिंग और AI एल्गोरिदम की बेसिक नॉलेज तो है, लेकिन एडवांस्ड मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग और न्यूरल नेटवर्क्स की प्रैक्टिकल स्किल्स की कमी है।
-
क्वालिटी ट्रेनिंग कीकमी
– AI ट्रेनिंग कोर्स और सर्टिफिकेशन उपलब्ध हैं, लेकिन उनमें से कई पुराने सिलेबस और इंडस्ट्री के असली प्रोजेक्ट्स से कटे हुए हैं।
-
ब्रेन ड्रेन
– भारत के कई टैलेंटेड AI इंजीनियर्स और डेटा साइंटिस्ट बेहतर सैलरी और रिसर्च के अवसरों के लिए विदेश चले जाते हैं।
-
इंडस्ट्री-एकेडेमिया गैप
– कॉलेज और यूनिवर्सिटी का सिलेबस इंडस्ट्री की रियल टाइम जरूरतों के हिसाब से अपडेट नहीं होता।
- महंगे कोर्स और रिसोर्स की कमी-एडवांस्ड AI रिसर्च के लिए GPU सर्वर, हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग और बड़े डेटा सेट की जरूरत होती है, जो महंगे होते हैं और हर जगह उपलब्ध नहीं।
असर भारत की अर्थव्यवस्था और कंपनियों पर
- ग्लोबल कॉम्पिटिशन में पिछड़ना – अगर AI टैलेंट की कमी दूर नहीं हुई, तो भारत AI इनोवेशन में चीन और अमेरिका से पीछे रह सकता है।
- स्टार्टअप ग्रोथ में रुकावट – भारत में AI-आधारित स्टार्टअप्स की संख्या बढ़ रही है, लेकिन उन्हें स्किल्ड टीम बनाने में दिक्कत आती है।
- जॉब क्रिएशन पर असर – AI स्किल्स की कमी से भारत लाखों हाई-पेइंग जॉब्स खो सकता है।
- प्रोडक्टिविटी और ऑटोमेशन में देरी – कंपनियां AI-सॉल्यूशंस अपनाने में धीमी हो जाती हैं, जिससे प्रोडक्टिविटी कम होती है।
भारत की ग्लोबल पोज़िशन और चैलेंजेस
भारत के पास दुनिया के सबसे ज्यादा IT प्रोफेशनल्स हैं, लेकिन AI में चीन और अमेरिका लीड कर रहे हैं। स्टैनफोर्ड AI इंडेक्स रिपोर्ट में भारत का नाम टॉप 10 में तो है, लेकिन रिसर्च पेपर्स, पेटेंट्स और AI स्टार्टअप वैल्यूएशन में अंतर साफ दिखता है।
समाधान – कैसे भरें AI Talent का गैप?
- एजुकेशन रिफॉर्म्स – कॉलेज सिलेबस में AI, मशीन लर्निंग और डेटा साइंस को कोर सब्जेक्ट के तौर पर शामिल किया जाए।
- प्रैक्टिकल ट्रेनिंग – AI हैकाथॉन, लाइव प्रोजेक्ट्स और इंडस्ट्री-कोलैबोरेशन बढ़ाया जाए।
- स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स – सरकार और प्राइवेट सेक्टर मिलकर बड़े पैमाने पर फ्री/सब्सिडाइज्ड AI ट्रेनिंग शुरू करें।
- रिसर्च फंडिंग बढ़ाना – एडवांस्ड AI रिसर्च के लिए स्पेशल फंड और इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया जाए।
- स्टार्टअप सपोर्ट – AI आधारित स्टार्टअप्स को टैक्स बेनिफिट और ग्रांट्स दिए जाएं।
- टैलेंट रिटेंशन – कंपनियां AI प्रोफेशनल्स को बेहतर सैलरी, रिसर्च एक्सेस और करियर ग्रोथ के मौके दें
चिंताजनक-
“India की AI टैलेंट क्राइसिस हर 10 AI नौकरियों पर सिर्फ 1 इंजीनियर”
यह विषय इस समय भारत में बहुत चर्चा में है क्योंकि:
- भारत की डिजिटल इकॉनमी तेजी से बढ़ रही है।
- लेकिन AI, क्लाउड और साइबरसिक्योरिटी में भारी टैलेंट शॉर्टेज ने विकास को चुनौती दी है।
- जनरेटिव AI (GenAI) में हर 10 उपलब्ध पदों पर केवल एक इंजीनियर उपलब्ध है — यह आंकड़ा चिंताजनक है!
निष्कर्ष
AI आने वाले समय का सबसे बड़ा गेम-चेंजर है। अगर भारत AI टैलेंट क्राइसिस को जल्दी दूर कर ले, तो वह न केवल ग्लोबल टेक लीडर बन सकता है, बल्कि करोड़ों हाई-क्वालिटी जॉब्स भी पैदा कर सकता है। शिक्षा, इंडस्ट्री और सरकार के संयुक्त प्रयास से भारत AI रेवोल्यूशन का सेंटर बन सकता है।