Coke Studio भारत -पाकिस्तान संगीत पुनर्जागरण का मंच

Coke Studio भारत -पाकिस्तान संगीत पुनर्जागरण का मंच है जहाँ पारंपरिक लोक संगीत, सूफी रचनाएँ, शास्त्रीय धुनें और आधुनिक बीट्स का संगम होता है। यह सिर्फ एक टीवी शो नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित और पुनर्परिभाषित करने वाली एक क्रांति है। चाहे भारत हो या पाकिस्तान, इस शो ने सीमाओं से परे जाकर दिलों को जोड़ा है। इस लेख में हम इसकी उत्पत्ति, विकास, विशेषताएँ, प्रभाव, आलोचनाएं और इसकी वैश्विक लोकप्रियता पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
Coke Studio: प्रारंभ और उद्देश्य
उद्भव और स्थापना
- इस मंच की शुरुआत वर्ष 2008 में पाकिस्तान में हुई थी। इसका विचार नार्वे-आधारित संगीतकार रोहित बलसारा और कोका-कोला पाकिस्तान के प्रबंधकों के बीच चर्चा के बाद उत्पन्न हुआ। इसका पहला संस्करण प्रसिद्ध पाकिस्तानी संगीतकार रोहैल हयात द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
इस शो का उद्देश्य था—लोक संगीत और पारंपरिक सुरों को आधुनिक पॉप, रॉक और हिप-हॉप संगीत से जोड़ना ताकि आज की युवा पीढ़ी अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ी रह सके।
ब्रांड कोका-कोला की भूमिका
Coke Studio दरअसल Coca-Cola ब्रांड का एक सांगीतिक मार्केटिंग प्रोजेक्ट है, जिसमें “Coke” ब्रांड खुद को “युवा और सांस्कृतिक” बनाना चाहता था। संगीत के ज़रिए ब्रांड ने लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई और कंपनी को एक मानवीय स्पर्श मिला।

Coke Studio पाकिस्तान: सांगीतिक पुनर्जागरण
पाकिस्तान में शुरू हुआ Coke Studio धीरे-धीरे सांगीतिक पुनर्जागरण का प्रतीक बन गया। शो ने न सिर्फ संगीत प्रेमियों को एक नया अनुभव दिया, बल्कि कई पुराने, भुला दिए गए कलाकारों को फिर से मंच पर लाया।
कुछ प्रतिष्ठित गाने
- ताजदार-ए-हरम (अतिफ असलम द्वारा)
- आरे लगदी (मेहर अली और शेर अली)
- बोल हु (ज़ैन ज़ोहरा और अब्दुल्ला सिद्दीकी)
- दमादम मस्त कलंदर (फ़रीदा खानम, अली हमज़ा)
इन गानों ने न सिर्फ देश में, बल्कि विदेशों में भी करोड़ों दर्शकों का दिल जीता।
कलाकारों का संगम
इस मंच पर क्लासिकल, लोक, सूफी, पॉप, रॉक, इलेक्ट्रॉनिक जैसे विविध शैलियों के संगीतकारों को एक साथ लाया गया। जहाँ एक तरफ अबिदा परवीन और रहात फतेह अली खान जैसे दिग्गजों ने अपनी जड़ें मजबूत की, वहीं दूसरी ओर उजैर जसवाल, मोमिना मुस्तेहसन, अली सेठी जैसे युवा कलाकारों को मंच मिला।
भारत: भारतीय संगीत का मंच
Celebrating Cultural Unity
प्रारंभ
भारत में इसका पहला संस्करण 2011 में लॉन्च हुआ। इसे MTV चैनल ने प्रसारित किया और इसका नाम था @ MTV। भारत में इसके पहले निर्माता थे लॉय मेंडोंसा, एहसान नूरानी, और श्रीधर राघवन।
भारत में विविधता का संगम
भारत जैसे विविधता से भरे देश में इसका रूप और भी रंगीन हो गया। यहाँ कश्मीरी लोकगीतों से लेकर तमिलनाडु के पारंपरिक कावड़ी पदलों, राजस्थानी मांगणियार संगीत से लेकर कर्नाटक की कर्नाटिक संगीत शैली तक — सभी को आधुनिकता के साथ पिरोया गया।

कुछ प्रमुख भारतीय गीत
- Madari (विषाल ददलानी, क्लिंटन सेरेजो, सोनू कक्कड़)
- Bismillah (कार्तिक, बृंदा, गायत्री)
- Chadta Suraj (अरिफ लोहार, हरिहरन)
- Tu Mane Ya Na Mane (Master Saleem)
इन गानों ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत में भी पारंपरिक और आधुनिक संगीत का संतुलन शानदार तरीके से प्रस्तुत किया जा सकता है।
Coke Studio के विशेषताएँ
1. लाइव रिकॉर्डिंग
Coke Studio की सबसे अनोखी बात यह है कि इसके सारे गाने लाइव रिकॉर्ड किए जाते हैं। इससे संगीत में एक ईमानदारी और गहराई आती है, जो स्टूडियो रिकॉर्डिंग में नहीं मिलती।
2. पारंपरिक वाद्ययंत्रों का प्रयोग
बॉलीवुड या पॉप म्यूजिक में जहाँ इलेक्ट्रॉनिक बीट्स और सिंथेसाइज़र का उपयोग अधिक होता है, वहीं Coke Studio में रुबाब, सारंगी, सितार, तबला, पखावज, मटकी, नगाड़ा जैसे पारंपरिक वाद्ययंत्रों को सम्मानित स्थान मिला है।
3. भाषाई विविधता
Coke Studio में हिंदी, उर्दू, पंजाबी, कश्मीरी, ब्रज, तमिल, मलयालम, बांग्ला, मराठी, सिंधी, पश्तो आदि भाषाओं में गाने पेश किए जाते हैं। यह मंच भारत और पाकिस्तान की भाषाई और सांस्कृतिक विविधता का उत्सव है।
4. सांस्कृतिक पुल
इसने न सिर्फ विभिन्न संगीत शैलियों को जोड़ा, बल्कि धर्म, जाति, वर्ग, भाषा और देश की सीमाओं को भी पार किया। यह मंच सांस्कृतिक एकता और संगीत के वैश्विक स्वरूप का प्रमाण है।
Coke Studio की आलोचना और चुनौतियाँ
1. व्यावसायीकरण का आरोप
कुछ आलोचकों का मानना है कि Coke Studio एक कॉर्पोरेट प्रोजेक्ट है, जो सांस्कृतिक उत्पादों को बेचने का माध्यम बन गया है। कलाकारों को चयन करते समय व्यावसायिक संभावनाओं को प्राथमिकता दी जाती है।
2. लोक संगीत की मौलिकता पर असर
कई बार लोक संगीत को आधुनिक बीट्स में इस हद तक ढाला जाता है कि उसकी मौलिकता खो जाती है। यह आलोचना विशेषकर पारंपरिक संगीत प्रेमियों की ओर से आई है।
3. भारत में निरंतरता की कमी
जहाँ पाकिस्तान में यह लगातार 14 से अधिक सीज़न दिए हैं, वहीं भारत में यह लगातार नहीं चल सका। भारतीय संस्करण कई बार ब्रेक में गया और निर्माता भी बार-बार बदले गए।
Coke Studio की वैश्विक लोकप्रियता
आज यह एक वैश्विक ब्रांड बन चुका है। Youtube और Spotify जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर इसके करोड़ों श्रोता और दर्शक हैं।
- Coke Studio Pakistan के कुछ गानों को 300+ मिलियन व्यूज मिले हैं।
- कई गानों का इंटरनेशनल रिएक्शन वीडियो बना है।
- बोल हु, ताजदार-ए-हरम, Afreen Afreen जैसे गाने अमेरिका, यूके, UAE, इंडिया सहित कई देशों में वायरल हुए।
Coke Studio की प्रेरणाएँ और प्रभाव
इसने दुनिया भर के संगीतकारों को यह प्रेरणा दी कि:
- संगीत भाषा, जाति, धर्म और राजनीति से परे होता है।
- पुराने और नए का संगम संभव है।
- लोक संगीत कभी पुराना नहीं होता — बस उसे नया मंच चाहिए।
इस शो ने न सिर्फ कलाकारों को अवसर दिए, बल्कि दर्शकों को भी यह समझाया कि उनकी संस्कृति, उनकी जड़ें अब भी जीवित हैं।
निष्कर्ष
यह केवल एक म्यूजिकल शो नहीं, यह आत्मा की आवाज़ है। यह एक ऐसी यात्रा है जिसमें संगीत इतिहास से निकलकर भविष्य की ओर बढ़ता है, और सुनने वालों को जोड़ता है — न सिर्फ सुरों से, बल्कि भावनाओं से।
पाकिस्तान में इसकी निरंतरता और भारत में इसकी विविधता ने यह सिद्ध कर दिया है कि यदि कला को सही मंच और दिशा मिले, तो वह सीमाओं को पार कर सकती है। आज जब दुनिया संकीर्णताओं में उलझी है, यह एक ऐसा उदाहरण बनकर उभरा है जो सांस्कृतिक एकता और संगीत की सार्वभौमिकता को प्रमाणित करता है।