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India Green Hydrogen Mission 2025 | भारत का ग्रीन एनर्जी क्रांति का सपना

India Green Hydrogen Mission 2025: कैसे भारत बन रहा है ग्रीन एनर्जी का वैश्विक केंद्र

भारत का ग्रीन हाइड्रोजन मिशन 2025 देश को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने और प्रदूषण घटाने की दिशा में बड़ा कदम है। जानिए इसके फायदे, चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएं।

दुनिया तेजी से क्लीन एनर्जी की ओर बढ़ रही है, और इस बदलाव में ग्रीन हाइड्रोजन एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है। भारत ने साल 2025 तक ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन में एक बड़ा मुकाम हासिल करने का लक्ष्य रखा है। यह मिशन न केवल भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा, बल्कि देश को ग्रीन एनर्जी सेक्टर में एक वैश्विक नेता बना सकता है।

ग्रीन हाइड्रोजन क्या है?

ग्रीन हाइड्रोजन एक प्रकार की हाइड्रोजन गैस है, जो पानी के इलेक्ट्रोलिसिस से बनाई जाती है। इसमें बिजली का स्रोत पूरी तरह नवीकरणीय ऊर्जा (जैसे सौर और पवन ऊर्जा) होता है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके उत्पादन के दौरान कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन शून्य होता है, जिससे यह जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एक महत्वपूर्ण हथियार बन जाता है।आइये जानते हैं india Green Hydrogen Mission 2025 | भारत का ग्रीन एनर्जी क्रांति का सपना

राष्ट्रनीति और निवेश ढांचा

India’s Green Hydrogen Mission
India’s Green Hydrogen Mission

भारत की योजना है कि 2030 तक वार्षिक 5 मिलियन मीट्रिक टन (MMT) ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाए । इसके लिए ₹17,490 करोड़ का बजट Strategic Interventions for Green Hydrogen Transition (SIGHT) प्रोग्राम के तहत रखा गया है ।

इसके अतिरिक्त, mobilité और शिपिंग के लिए ₹496 करोड़ और लो-कार्बन स्टील परियोजनाओं के लिए ₹455 करोड़ आरक्षित हैं। दो प्राथमिक ग्रीन हाइड्रोजन हब्स की योजना बनाई गई है, जिनके लिए ₹400 करोड़ का बजट रखा गया है 

India Green Hydrogen Mission 2025 | भारत का ग्रीन एनर्जी क्रांति का सपना

भारत सरकार ने 2022 में नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन की घोषणा की थी, जिसका लक्ष्य है:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार, यह मिशन भारत को ऊर्जा निर्यातक देश बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

ग्रीन हाइड्रोजन के फायदे

  1. शून्य कार्बन उत्सर्जन
    पारंपरिक हाइड्रोजन उत्पादन के मुकाबले ग्रीन हाइड्रोजन पूरी तरह प्रदूषण रहित है।
  2. ऊर्जा स्वतंत्रता
    भारत अभी तेल और गैस के लिए आयात पर निर्भर है। ग्रीन हाइड्रोजन से यह निर्भरता कम होगी।
  3. रोजगार सृजन
    इस मिशन से मैन्युफैक्चरिंग, इंजीनियरिंग, रिसर्च और लॉजिस्टिक्स में हजारों नौकरियां पैदा होंगी।
  4. निर्यात क्षमता
    जापान, जर्मनी और कोरिया जैसे देशों को ग्रीन हाइड्रोजन की भारी मांग है। भारत इसे निर्यात कर विदेशी मुद्रा कमा सकता है।

भारत में प्रमुख ग्रीन हाइड्रोजन परियोजनाएं

India green Hydrogen
  1. रिलायंस इंडस्ट्रीज
    रिलायंस 2030 तक पूरी तरह कार्बन-न्यूट्रल बनने का लक्ष्य रखता है और गुजरात में बड़े ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट पर काम कर रहा है।
  2. अदानी ग्रुप
    अदानी न्यू एनर्जी कंपनी ₹50,000 करोड़ का निवेश कर रही है, जिससे भारत का सबसे बड़ा ग्रीन हाइड्रोजन कॉम्प्लेक्स बनेगा।
  3. आईओसीएल (इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन)
    आईओसीएल ने राजस्थान और उत्तर प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए हैं।IOC (Indian Oil Corporation) ने फरिदाबाद और वडोदरा में हाइड्रोजन रिफ्यूलिंग स्टेशन स्थापित किए हैं। मार्च 2025 में Tata Motors और Ashok Leyland को हाइड्रोजन-फ्यूल बस और ट्रक परियोजनाओं के लिए ₹208 करोड़ का सहयोग मिला 
  4. NTPC लिमिटेड
    NTPC ने लद्दाख में ग्रीन हाइड्रोजन से चलने वाली बसें लॉन्च करने की योजना बनाई हैं
  5. Sembcorp ने तमिलनाडु में ₹36,238 करोड़ का निवेश कर एक ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया यूनिट स्थापित करने की योजना बनाई है, जो जापान को निर्यात करेगी (200,000 टन/वर्ष क्षमता) 

चुनौतियां

Soller panel

इन्फ्रास्ट्रक्चर और क्लस्टर दृष्टिकोण

अन्य प्रमुख परियोजनाएं

प्रौद्योगिकी, लागत और निर्यात

रास्ते, नीति और वैश्विक संभावनाएं

भविष्य की संभावनाएं – भारत का ग्रीन एनर्जी क्रांति का सपना

भारत के पास विशाल सौर और पवन ऊर्जा क्षमता है, जो ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए आदर्श है। अगर सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर निवेश और रिसर्च बढ़ाते हैं, तो भारत अगले 5-10 सालों में ग्रीन एनर्जी हब बन सकता है।

निष्कर्ष

भारत का ग्रीन हाइड्रोजन मिशन 2025 सिर्फ ऊर्जा नीति नहीं, बल्कि आर्थिक और पर्यावरणीय रणनीति की भी दरकार है। सोलर पावर, नवीकरणीय ऊर्जा और ग्रीन हाइड्रोजन को जोड़कर भारत ऊर्जा आत्मनिर्भरता, रोजगार सृजन और जलवायु कार्रवाई में एक नया अध्याय लिख रहा है।

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