88 साल IPS सुबह जल्दी उठके कचरा बीनने क्यों जाते हैं – श्री इंदरजीत सिंह सिद्धू

IPS श्री इंदरजीत सिंह सिद्धू – सेवा से संन्यास नहीं होता
IPS श्री इंदरजीत सिंह सिद्धू के जीवन, सेवा और स्वच्छता अभियान पर आधारित एक प्रेरणादायक घटना
कहा जाता है कि जब कोई इंसान अपने जीवन का सर्वोच्च उद्देश्य खोज लेता है, तब वह उम्र, पद और प्रतिष्ठा की सीमाओं को पार कर जाता है। श्री इंदरजीत सिंह सिद्धू, भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के एक सेवानिवृत्त अधिकारी, ऐसे ही व्यक्तित्व के धनी हैं। 88 वर्ष की उम्र में जब अधिकांश लोग आराम की ज़िंदगी बिताते हैं, तब श्री सिद्धू हर सुबह अपनी गाड़ी पर झाड़ू, कचरा बैग और एक संकल्प लेकर चंडीगढ़ की सड़कों पर उतरते हैं — स्वच्छता का अभियान लेकर।
प्रारंभिक जीवन और सेवा
श्री इंदरजीत सिंह सिद्धू का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था, लेकिन उनके विचार और संकल्प असाधारण थे। उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की और 1964 में भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में चुने गए। अपने करियर के दौरान उन्होंने पंजाब पुलिस में कई अहम जिम्मेदारियाँ निभाईं। वे पुलिस अधीक्षक (SP) से लेकर उप पुलिस महानिरीक्षक (DIG) तक के पदों पर कार्यरत रहे।
अपने कार्यकाल में उन्होंने कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कई कठोर निर्णय लिए, और साथ ही जनता से सीधे जुड़कर काम किया। वे अनुशासनप्रिय, निडर और नैतिक मूल्यों पर दृढ़ रहने वाले अधिकारी माने जाते थे। वर्ष 1996 में वे सेवानिवृत्त हो गए।
सेवानिवृत्ति के बाद जीवन
सेवानिवृत्ति के बाद अधिकांश लोग पारिवारिक जीवन या निजी आराम को प्राथमिकता देते हैं, लेकिन श्री सिद्धू के मन में हमेशा यह विचार चलता रहा कि “सेवा से संन्यास नहीं होता।” वर्षों तक सामाजिक गतिविधियों से जुड़े रहने के बाद उन्होंने अपने लिए एक नई दिशा चुनी — स्वच्छता।
चंडीगढ़, जिसे ‘सिटी ब्यूटीफुल’ कहा जाता है, को लेकर उन्होंने एक गंभीर चिंता जताई। जब उन्होंने देखा कि स्वच्छ भारत अभियान के बावजूद कई क्षेत्रों में गंदगी फैली हुई है, लोग जागरूक नहीं हैं, और नगर निगम की व्यवस्था ढीली पड़ चुकी है — तो उन्होंने निर्णय लिया कि “शिकायत नहीं, समाधान बनो।”
चंडीगढ़ की सड़कों पर सिद्धू जी
अब हर सुबह सुबह 6 बजे, श्री सिद्धू अपने घर से निकलते हैं। वे चंडीगढ़ के सेक्टर 49 की गलियों में खुद झाड़ू लगाते हैं, कचरा बीनते हैं और लोगों को स्वच्छता के लिए जागरूक करते हैं। उनके पास कोई फंड नहीं, कोई NGO नहीं, कोई प्रचार नहीं — केवल एक ईमानदार संकल्प है।
उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें वे अपनी साइकिल पर एक छोटी गाड़ी (ठेला) जोड़े हुए, झाड़ू और कचरा उठाने के सामान के साथ सफाई करते नजर आए। वीडियो देखकर कई लोग चौंक गए — “88 साल का रिटायर्ड IPS अफसर सफाई कर रहा है?”
इस वीडियो ने देश भर में लोगों का ध्यान खींचा।
श्री सिद्धू का यह वीडियो उद्योगपति आनंद महिंद्रा तक पहुँचा। उन्होंने ट्वीट किया:
“Purpose doesn’t retire. Service doesn’t age.”
“सेवा का उद्देश्य कभी सेवानिवृत्त नहीं होता। सेवा की उम्र नहीं होती।”
उनका यह संदेश लाखों लोगों ने देखा और साझा किया। सोशल मीडिया पर श्री सिद्धू को “The Silent Warrior of Cleanliness” और “Swachhta Ke Sipahi” जैसे उपाधियों से नवाजा गया।
लोगों की प्रतिक्रिया
शुरुआत में जब सिद्धू जी सफाई अभियान के लिए निकले, तो कुछ लोगों ने उनका मज़ाक उड़ाया। कईयों ने उन्हें “पागल” तक कह दिया — “इतनी उम्र में झाड़ू लगाकर क्या हासिल करोगे?” लेकिन सिद्धू जी रुके नहीं।
धीरे-धीरे कुछ लोगों ने उनके साथ सफाई में हाथ बँटाना शुरू किया। कई युवा उनसे प्रेरित होकर मोहल्ले की सफाई में जुट गए।
अब उनकी मौजूदगी सिर्फ सफाई तक सीमित नहीं — वे एक प्रेरणा बन चुके हैं।
सिद्धांत और दर्शन
श्री सिद्धू मानते हैं कि “स्वच्छता ईश्वर के निकटता का प्रतीक है”। उनके अनुसार, सफाई करना कोई छोटा काम नहीं है — यह नैतिक जिम्मेदारी है।
वे कहते हैं:
“हम मंदिर में साफ चप्पल पहनकर जाते हैं, लेकिन अपने शहर की सड़क को साफ रखना नहीं सीख पाए। भगवान साफ दिल वालों के पास आते हैं, और दिल तभी साफ होता है जब आसपास का माहौल साफ हो।”
सरकारी सहयोग?
अभी तक श्री सिद्धू को न तो नगर निगम की ओर से कोई पुरस्कार मिला है और न ही कोई विशेष सम्मान। लेकिन वे कहते हैं कि उन्हें इन चीज़ों की परवाह नहीं।
“सम्मान भीड़ से नहीं, आत्मा से मिलता है।”
हालाँकि, सोशल मीडिया के ज़रिए कई लोगों ने मांग की है कि सरकार उन्हें स्वच्छ भारत मिशन के ब्रांड एंबेसडर के रूप में नियुक्त करे।
एक मिसाल – युवाओं के लिए
आज देश में युवा अक्सर बेरोज़गारी, असंतोष या सामाजिक ढाँचे को कोसते रहते हैं। लेकिन श्री सिद्धू दिखाते हैं कि बदलाव सरकार से नहीं, स्वयं से शुरू होता है।
88 साल की उम्र में जब वे हर सुबह सफाई करते हैं, तो सवाल उठता है — क्या हम 28 या 38 साल की उम्र में इतनी सेवा भावना नहीं रख सकते?
उनकी यह पहल बताती है कि “देशभक्ति झंडा लहराने से नहीं, ज़मीन साफ करने से शुरू होती है।”
पारिवारिक जीवन
श्री सिद्धू का परिवार उनके इस कार्य पर गर्व करता है। उनकी पत्नी और बच्चे उनके समर्थन में हैं, भले ही कुछ रिश्तेदारों ने शुरुआत में सवाल उठाए हों। उनका मानना है कि जब तक शरीर साथ दे रहा है, “सेवा से पीछे हटना कायरता है।”
एक दिन की दिनचर्या
समय | कार्य |
सुबह 5:00 | उठना, चाय और प्रार्थना |
सुबह 6:00 | ठेला लेकर सफाई के लिए निकलना |
सुबह 6:15 – 8:00 | सेक्टर-49 और आस-पास के क्षेत्रों में सफाई |
8:30 | घर लौटना, स्नान, नाश्ता |
दिन भर | लोगों से मिलना, बच्चों को नैतिक शिक्षा देना |
रात 9:00 | विश्राम |
निष्कर्ष
- 88 साल IPS सुबह जल्दी उठके कचरा बीनने क्यों जाते हैं – श्री इंदरजीत सिंह सिद्धू केवल एक नाम नहीं, बल्कि एक विचार हैं — जो यह सिखाता है कि सेवा का कोई पद नहीं होता, कोई उम्र नहीं होती, और कोई सीमा नहीं होती।
वे दिखाते हैं कि अगर मन में संकल्प हो, तो कोई भी बदलाव लाना मुश्किल नहीं।
वे केवल कचरा नहीं उठा रहे, वे समाज को मानसिक रूप से स्वच्छ कर रहे हैं।
उनका जीवन हम सभी के लिए एक आइना है — जिसमें हम देख सकते हैं कि वास्तविक नायक वे होते हैं जो मौन रहते हुए, दुनिया बदलते हैं।
क्या हम तैयार हैं?
इस लेख को पढ़ने के बाद आपको कैसा लगा?
क्या आप अपने क्षेत्र में स्वच्छता अभियान शुरू करना चाहेंगे?
क्यों न हम भी “सिद्धू मिशन” शुरू करें — अपने मोहल्ले से, आज से, अभी से।
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