पंजाब का AMR योजना: भारत में एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के खिलाफ कदम
दुनिया भर में एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (Antimicrobial Resistance, AMR) एक गंभीर स्वास्थ्य संकट बन गया है। जब एंटीबायोटिक्स और अन्य माइक्रोबायल ट्रीटमेंट्स काम नहीं करते, तो साधारण संक्रमण भी जानलेवा हो जाता है। हाल ही में पंजाब ने इस चुनौती के खिलाफ पंजाब राज्य एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध नियंत्रण योजना (Punjab State Action Plan for Containment of AMR, PUNJAB-SAPCAR) लॉन्च कर दी है।
यह पहला राज्य नहीं है, लेकिन पंजाब इस क्षेत्र में सातवाँ राज्य बन गया है जिसने AMR को नियंत्रित करने के लिए विशेष और समर्पित योजना बनाई है। इस पहलकदमी से उम्मीद है कि सरकारी तंत्र, स्वास्थ्य विभाग, पशु चिकित्सा, कृषि और सार्वजनिक स्वास्थ्य जागरूकता मिलकर AMR को असरदार तरीके से रोकेगा।
AMR क्या है और क्यों है यह समस्या
AMR का मतलब है कि बैक्टीरिया, वायरस, फंगस आदि समय के साथ उन एंटीमाइक्रोबियल दवाओं के प्रति असंवेदनशील बन जाते हैं जिनसे उन्हें खत्म किया जाता था। इसके कई कारण हैं:
- एंटीबायोटिक दवाओं का ज़रूरत से ज़्यादा और अनुचित प्रयोग।
- गलत खुराक या अधूरी कोर्स (course) लेना।
- पशुपालन में एंटीबायोटिक्स का अधिक उपयोग।
- अस्पतालों और स्वास्थ्य सुविधाओं में संक्रमण नियंत्रण की कमी।
AMR के कारण:
- अस्पताल में रहने की अवधि बढ़ जाती है।
- इलाज की लागत बहुत बढ़ जाती है।
- एंटीबायोटिक दवाओं की क्षमता ख़त्म होने का डर।
- सामान्य संक्रामक बीमारियाँ भी खतरनाक हो सकती हैं, विशेष रूप से जो कम संसाधन वाले क्षेत्रों में रहते हैं।
पंजाब की पहल – PUNJAB-SAPCAR की खास बातें

पंजाब सरकार ने AMR नियंत्रण के लिए जो योजना शुरू की है, उसकी कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं:
- One Health दृष्टिकोण
मानव स्वास्थ्य, पशु स्वास्थ्य और कृषि स्वास्थ्य को जोड़ते हुए काम करने की नीति। यानी सिर्फ इंसानों पर नहीं, पशुओं और पर्यावरण पर भी ध्यान। - स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में निर्देश
- एंटीबायोटिक प्रिस्क्रिप्शन (prescription) के लिए क्लीनिकल गाइडलाइन्स का उपयोग करना।
- Aam Aadmi Clinics, सरकारी अस्पताल, निजी लैब आदि में AMR से जुड़ी निगरानी (surveillance) को सशक्त बनाना।
- जागरूकता बढ़ाना
- आम लोगों को खुद-से दवाएँ न लेने की सलाह।
- अधूरी दवा की कोर्स पूरी करना महत्वपूर्ण है।
- स्वच्छता (hygiene), हाथ धोना, सुरक्षित पानी और साफ वातावरण सुनिश्चित करना।
- पशु और कृषि क्षेत्र में प्रतिबंध और नियंत्रण
- पशु चिकित्सा में एंटीबायोटिक्स के प्रयोग पर नियंत्रण, उचित मात्रा में प्रयोग।
- फीड, पानी और पशुपालन उपकरणों की स्वच्छता बहाल करना।
चुनौतियाँ और बाधाएँ
हर बड़े कदम की तरह, पंजाब की योजना के सामने कुछ चुनौतियाँ भी हैं:
- स्वास्थ्य प्रणाली में जागरूकता की कमी
ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों में डॉक्टरों, फार्मासिस्ट और पशु चिकित्सकों तक AMR के विषय में प्रशिक्षण कम है। - ओवर-द-काउंटर एंटीबायोटिक्स पहुंच
कई जगहों पर लोग बिना प्रिस्क्रिप्शन के एंटीबायोटिक्स ले लेते हैं, या डॉक्टर की सलाह नहीं लेते। - रिसोर्स और बजट की समस्या
AMR को नियंत्रित करने के लिए लैब परीक्षण, निगरानी प्रणालियाँ, प्रशिक्षण, स्वच्छता एजेंसियों को बजट चाहिए—इनमें संसाधन की कमी हो सकती है। - पशु और कृषि सेक्टर में अनुपालन (compliance)
किसान, पशुपालक, फार्मा कंपनियों को इस नीति को अपनाने के लिए प्रेरित करना होगा।
AMR का भारत और दुनियाभर में असर
- वैश्विक स्तर पर WHO ने AMR को “ग्लोबल हॉट स्पॉट्स” माना है।
- भारत में प्रत्येक वर्ष AMR की वजह से हजारों मौतें और लाखों रूपये का आर्थिक बोझ बढ़ता है।
- चिकित्सा खर्च, अस्पताल की लॉन्ग स्टे और रोग जटिलताएँ बढ़ जाती हैं।
- यदि AMR को नियंत्रित नहीं किया गया, तो भविष्य में ऐसी बीमारियाँ होंगी जिनका इलाज नहीं होगा—यह कल्पना ही डरावनी है।
पंजाब की योजना से लाभ: मरीजों, डॉक्टरों और समाज के लिए
- बेहतर इलाज
जब डॉक्टर क्लीनिकल गाइडलाइन्स के मुताबिक एंटीबायोटिक्स लिखेंगे, तो इलाज अधिक प्रभावी होगा। - स्वास्थ्य खर्च में कमी
इलाज की पुनरावृत्तियाँ कम होंगी, अस्पताल बिल घटेगा। - पशु स्वास्थ्य बेहतर होगा
जानवरों को कम दवाएँ दी जाएँगी, जिससे उनसे बीमारी-अवशेष कम होंगे। - खाद्य सुरक्षा
पशु उत्पादों में एंटीबायोटिक अवशेष कम होंगे, जिससे मानवों में अनचाहे दुष्प्रभाव की सम्भावना कम होगी। - पर्यावरण की रक्षा
दवाओं का पानी में बहाव, मिट्टी और पानी के स्रोतों में अवशेष होने की समस्या कम होगी।
उपयोगकर्ता और आम लोगों के लिए क्या कर सकते हैं
- स्वयं दवाएँ न खरीदें/ना लें। हमेशा प्रिस्क्रिप्शन के बाद ही एंटीबायोटिक्स लें।
- दवा की पूरी कोर्स पूरी करें।
- स्वच्छता बनाए रखें — हाथ धोना, खाना सुरक्षित तरीके से बनाना, पानी साफ रखना।
- पशुओं को भी सावधानी से दवा दें — डॉक्टर की सलाह लें।
- स्थानीय स्वास्थ्य जागरूकता अभियानों में भाग लें या समर्थन करें।
भविष्य की राह: AMR को कैसे पूरी तरह रोका जा सके
- तकनीकी समाधान: लैब-निगरानी, डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड, AI-based सलाह-मशीनें।
- नीति और कानून: AMR के लिए स्पष्ट नियम, पशु चिकित्सा में प्रतिबंध, एंटीबायोटिक प्रमाणीकरण।
- शिक्षा और प्रशिक्षण: ग्रामीण इलाकों, चिकित्सा और पशु चिकित्सा छात्रों को AMR पर प्रशिक्षण।
- अनुसंधान और विकास: नए एंटीबायोटिक्स, वैकल्पिक उपचार (जैसे प्रोबायोटिक्स, फग थेरेपी) आदि पर इन्वेस्टमेंट।
निष्कर्ष
पंजाब की AMR योजना सिर्फ एक शुरुआत है, लेकिन यह दिखाती है कि सरकारें और समुदाय मिलकर इस विश्व-स्तरीय समस्या का मुकाबला कर सकते हैं। यदि हम सभी—सरकार, डॉक्टर, पशुपालक और आम लोग—अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाएँ, तो AMR से होने वाले डर और खर्च को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
यह समय है जागरूक होने का, और AMR को नजरअंदाज न करने का।