7–8 सितंबर 2025 का पूर्ण चंद्र ग्रहण: जानें समय, सूतक काल, राशिफल, धार्मिक महत्व, सावधानियां और देखने के टिप्स, विस्तृत जानकारी।
1. चंद्र ग्रहण क्या है?
चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं और पृथ्वी, चंद्रमा के बीच में आकर उसकी सतह पर अपनी छाया डाल देती है। यह खगोलीय घटना साल में कुछ बार ही देखने को मिलती है और धार्मिक, ज्योतिषीय एवं वैज्ञानिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है।
7–8 सितंबर 2025 की रात, भारत समेत एशिया, यूरोप, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के कई हिस्सों में यह अद्भुत नजारा दिखाई देगा।
2. चंद्र ग्रहण का समय (भारत में)
चरण |
समय (IST) |
विवरण |
पेनुमब्रल ग्रहण प्रारंभ | 8:58 PM | हल्की छाया चंद्रमा पर पड़ना शुरू |
आंशिक ग्रहण प्रारंभ | 9:57 PM | चंद्रमा पर स्पष्ट अंधेरा दिखना शुरू |
पूर्ण ग्रहण प्रारंभ | 11:01 PM | चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में |
अधिकतम ग्रहण | 11:41 PM | “ब्लड मून” का अद्भुत दृश्य |
पूर्ण ग्रहण समाप्त | 12:22 AM | धीरे-धीरे चंद्रमा उज्ज्वल होना शुरू |
आंशिक ग्रहण समाप्त | 1:27 AM | चंद्रमा पूरी तरह सामान्य रूप में |
कुल अवधि लगभग 3 घंटे 28 मिनट की होगी।
3. सूतक काल और धार्मिक नियम

सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है।
- इस बार सूतक काल दोपहर 12:58 PM से शुरू होकर ग्रहण समाप्त होने तक रहेगा।
- सूतक काल में पूजा-पाठ, मंदिर में प्रवेश, भोजन पकाना, शुभ कार्य करना वर्जित होता है।
- गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
- भोजन में तुलसी पत्ती डालने की परंपरा है ताकि भोजन शुद्ध बना रहे।
4. चंद्र ग्रहण का ज्योतिषीय प्रभाव
यह ग्रहण कुंभ राशि और पूर्वाभाद्रपद व शतभिषा नक्षत्र में हो रहा है। इसका प्रभाव सभी राशियों पर अलग-अलग होगा।
शुभ प्रभाव वाली राशियाँ
- मेष: करियर में तरक्की, आर्थिक लाभ।
- वृश्चिक: रुके कार्य पूरे होंगे, सम्मान मिलेगा।
- धनु: नई जिम्मेदारियां और अवसर।
- मीन: यात्रा और शिक्षा में लाभ।
सावधानी बरतने वाली राशियाँ
- वृषभ: स्वास्थ्य पर ध्यान दें।
- कर्क: पारिवारिक विवाद से बचें।
- सिंह: निवेश में सतर्क रहें।
- कन्या: अनावश्यक खर्च से बचें।
- मकर: मानसिक तनाव से दूरी बनाएं।
- कुंभ: रिश्तों में सामंजस्य बनाए रखें।
मिश्र प्रभाव वाली राशियाँ
- मिथुन: सोच-समझकर निर्णय लें।
- तुला: काम में ध्यान और धैर्य जरूरी।
5. चंद्र ग्रहण से जुड़ी मान्यताएँ और शास्त्रीय कथा

- हिंदू मान्यता के अनुसार, ग्रहण का संबंध राहु और केतु से है। पौराणिक कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के समय अमृत पान करने वाला दैत्य राहु, भगवान विष्णु द्वारा सुदर्शन चक्र से दो टुकड़ों में विभाजित कर दिया गया। उसका सिर राहु और धड़ केतु कहलाया। माना जाता है कि जब सूर्य या चंद्रमा राहु-केतु की स्थिति में आते हैं, तो ग्रहण लगता है।
- कई जगह ग्रहण के समय मंत्र जाप, ध्यान और दान को अत्यंत फलदायी माना जाता है।
6. राजस्थान के प्रमुख मंदिरों में बदलाव
- खाटू श्यामजी मंदिर: सूतक लगते ही दोपहर में पट बंद कर दिए जाएंगे, ग्रहण समाप्ति के बाद पुनः खोले जाएंगे।
- सांव लिया सेठ मंदिर (चित्तौड़गढ़): दर्शन समय बदला गया है, ग्रहण के दौरान मंदिर बंद रहेगा।
- गोविंद देव जी मंदिर (जयपुर): ग्रहण काल में विशेष आरती और शुद्धिकरण अनुष्ठान होंगे।
7. चंद्र ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या न करें

करें:
- ग्रहण काल में मंत्र जाप, ध्यान, भजन करें।
- ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान करें और घर का शुद्धिकरण करें।
- जरूरतमंदों को दान-पुण्य करें।
न करें:
- ग्रहण के दौरान भोजन न करें।
- गर्भवती महिलाएं बाहर न निकलें।
- मूर्तियों को स्पर्श न करें और पूजा न करें।
8. वैज्ञानिक दृष्टिकोण

- चंद्र ग्रहण को नंगी आंखों से देखना पूरी तरह सुरक्षित है, क्योंकि यह सूर्य ग्रहण की तरह हानिकारक नहीं होता।
- वैज्ञानिक इसे पृथ्वी-चंद्रमा-सूर्य के बीच का एक अद्भुत संरेखण मानते हैं।
- इस बार चंद्रमा का रंग तांबे-सा लाल (Blood Moon) दिखेगा, जो वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण होता है।
9. अवलोकन और फोटोग्राफी टिप्स
- कम रोशनी वाले खुले स्थान पर जाएं।
- DSLR कैमरा या अच्छी ज़ूम क्षमता वाला मोबाइल इस्तेमाल करें।
- ट्राइपॉड का उपयोग करें ताकि तस्वीरें साफ आएं।
- टाइम-लैप्स मोड में पूरा ग्रहण रिकॉर्ड करें।
10. निष्कर्ष
7–8 सितंबर 2025 का यह चंद्र ग्रहण खगोल प्रेमियों, ज्योतिष में रुचि रखने वालों और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सभी के लिए महत्वपूर्ण है। चाहे आप इसे वैज्ञानिक दृष्टि से देखें या धार्मिक आस्था से, यह घटना अद्भुत और दुर्लभ है।
इस ग्रहण को एक सुंदर खगोलीय अनुभव के रूप में देखें, साथ ही अपने सांस्कृतिक और धार्मिक नियमों का पालन करें।